तू डाल डाल मैं पात पात ,अगर इस तरह से ही हम चलते रहे तो कोरोनावायरस का संक्रमण आगे आगे और हम पीछे पीछे चलते रहेंगे, और इस तरह इसे रोक पाना हमारे लिए संभव नहीं होगा, इसे रोकने के लिए राजस्थान के एक जिले ने योजनाबद्ध तरीके से काम किया एवं उसके इस तरीके से कोरोनावायरस के संक्रमण पर लगाम लगाने में वह सफल रहा, पूरे देश में इस योजना के तहत काम करने की आवश्यकता है, कोरोना संक्रमण शुंभ निशुंभ राक्षस की नीति पर काम कर रहा है, तो हमें भी शुंभ निशुंभ के संहार की नीति पर काम करना होगा अर्थात एक मरीज भी प्रशासन की निगाह से बच गया तो पूरा लॉक डाउन बेकार साबित होगा।
पिछले महीने कोरोना वायरस संक्रमण का हॉटस्पॉट बनकर उभरा ,जहां 26 संक्रमित मरीज थे और राज्य में संक्रमण के मामले में पहले स्थान पर था, वहां अब 17 संक्रमितों के ठीक होने की खबर है, शुक्रवार को राज्य के अधिकारियों ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित 17 लोग ठीक हुए हैं,26 संक्रमितों और दो मरीजों की मौत के साथ राज्य का सबसे अधिक प्रभावित जिला था, लेकिन यहां 30 मार्च से एक भी कोविड-19 का नया मामला सामने नहीं आया है।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की जिसमें जिला प्रशासन की रणनीति को योजनाबद्ध तरीके से अमलीजामा पहनाने के कारण कोरोना संक्रमण पर काबू पाना संभव हुआ है ,इस कार्ययोजना के सिर्फ दो पहलू हैं पहला, प्रशासन ने कर्फ्यू को सख्ती से लागू किया एवं कोरोना चेन को ब्रेक किया, एवं दूसरा ,20 लाख से अधिक लोगों का व्यापक सर्वेक्षण( स्क्रीनिंग) घर घर जाकर किया गया और इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षणों वाले लोगों की पहचान की हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ (एचसीक्यू), टैमीफ्लू और एचआईवी की दावाई के साथ इलाज किया गया, कोरोना पॉजिटिव लोगों को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कर उनका प्रथक इलाज किया गया एवं इलाज के बाद टेस्ट नेगेटिव आने पर उन्हें 14 दिन घर में क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया ,नतीजा यह हुआ कि 30 तारीख से अब तक एक भी नया संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है।
दरअसल पूरे भारत में अनेक राज्य एवं अनेक जिले ऐसे हैं जहां के लोग दिल्ली, मुंबई या महानगरों में मजदूरी या अन्य कार्य करते थे वह लोग लॉक डाउन के चलते अपने अपने घरों को लौट गए अब यहां सवाल यह उठता है कि उन लोगों समेत पूरे शहर में ,पूरे गांव में अन्य लोग जो हो सकता है कि संक्रमण से ग्रसित हो, लेकिन उनकी स्क्रीनिंग नहीं की गई और प्रशासन की तरफ से यह कहा गया कि किसी को भी सर्दी जुखाम खांसी बुखार हो तो इस हेल्पलाइन नंबर पर हमें सूचित करें ,अमूमन लोग डर के मारे प्रशासन को फोन नहीं करते हैं एवं प्रशासन के पूरे शहर ,पूरे गांव में व्यापक स्तर पर घर घर पहुंचकर स्क्रीनिंग नहीं करने के चलते, हर दूसरे दिन अनेक गली मोहल्लों में कोरोना संक्रमण के मरीज सामने आ रहे हैं बल्कि कई जगह पर किसी की मृत्यु के बाद जांच में कोरोनावायरस आने पर क्षेत्र में कोरोना संक्रमण फैलने की बात प्रशासन को पता लगी है लेकिन तब तक उस संक्रमित मरीज ने सैकड़ों लोगों को संक्रमित कर दिया होता है, नतीजा यह है कि कई राज्यों में जिला प्रशासन संक्रमण का मरीज मिलने पर उस इलाके को सील कर देता है लेकिन दूसरे ही दिन दूसरे मोहल्ले में कोई संक्रमण का नया मरीज सामने आ जाता है और जिसके चलते प्रशासन कोरोना संक्रमण की बढ़त पर रोक लगाने में कामयाब नहीं हो पा रहा है।
बाहर हाल इस पूरी खबर का निचोड़ यह है कि देश में हर राज्य में प्रशासन लॉक डाउन का सख्ती से पालन करवाएं एवं इस लॉक डाउन के दौरान जिला स्तर पर हर घर की स्क्रीनिंग हो ताकि साधारण संक्रमण का शुरुआत में ही इलाज शुरू कर उन्हें क्वॉरेंटाइन कर उन पर अगले 15 दिन तक नजर रखी जा सके एवं कोरोना संक्रमण से ग्रसित लोगों को आइसोलेशन वार्ड में अलग से इलाज किया जा सके, साथ ही लॉक डाउन का सख्ती से पालन कराने से कोरोना चैन स्वतः ही टूट जाएगी एवं इस प्रकार गली मोहल्लों से लेकर जिलों में राज्यों में और पूरे देश से हमें कोरोना संक्रमण को खत्म करने में कम समय में कामयाबी मिल पाएगी।
“अगर हमारी इस ख़बर से किसी भी पाठक को ऐसा लगता है कि यह तरीका कोरोना संक्रमण को रोकने में कारगर सिद्ध होगा, तो इस खबर को हर जिम्मेदार अधिकारी ,जनप्रतिनिधि तक जरूर पहुंचाएं ताकि हमें कोरोना संक्रमण से जल्दी छुटकारा मिल सके”
