कोरोना वायरस के चलते उज्जैन कलेक्टर ने 25 मार्च तक लॉक डाउन करने का आदेश दिया है इस आदेश के चलते उज्जैन के सभी सरकारी ,गैर सरकारी ऑफिस ,शॉपिंग मॉल बंद रहेंगे वहीं पूरे जिले में धारा 144 लागू की गई है जिसके तहत 5 लोगों से ज्यादा इकट्ठा होने पर प्रतिबंध है, लेकिन शहर के इंडस्ट्रीज एरिया पूरी तरह खुला हुआ है जहां कंपनियों में 50 से लेकर 500 कर्मचारी एक साथ काम कर रहे हैं और श्रम विभाग का इस और कोई ध्यान नहीं है जहां एक और प्रशासन ने शहर की जनता को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए 25 मार्च तक का लॉक डाउन किया है ऐसे में इंडस्ट्रीज में काम करने वाले कर्मचारियों के स्वास्थ्य की अनदेखी पर श्रम विभाग मौन क्यों हैं।
इस बारे में जब हमने उज्जैन सहायक श्रम आयुक्त मेघना भट्ट से बात की तो उनका कहना है कि मामला संज्ञान में लाया गया है इसको दिखवाते हैं , इस पर क्या कदम उठाया जा सकता है ,जहां श्रम विभाग को यह भी ज्ञात है की जिले में धारा 144 लगी हुई है वहीं दूसरी ओर उज्जैन के इंडस्ट्रीज एरिया मैं सैकड़ों लोग एक साथ काम कर रहे हैं जिसे देख कर लगता है कि जिला प्रशासन एवं श्रम विभाग सैकड़ों श्रमिकों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ कर रहा है और इसे देखकर यह भी प्रतीत होता है कि श्रम विभाग जोकि सरकार ने श्रमिकों की भलाई एवं उनके अधिकारों के लिए बना है वह श्रमिकों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को देख कर भी आंखें बंद किए हुए।
इस संबंध में जब जिलाधीश से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया, लेकिन जहां एक तरफ कोरोना वायरस का संक्रमण का खतरा भारत सहित पूरे विश्व में मंडरा रहा है, दिनोंदिन भारत में भी कोना संक्रमण के नए नए मामले सामने आ रहे हैं जिसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने जनता कर्फ्यू के लिए लोगों से अनुरोध किया एवं जिला प्रशासन ने भी 25 मार्च तक उज्जैन जिले को लॉक डाउन किया है ऐसे में शहर में इंडस्ट्री में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के स्वास्थ्य की अनदेखी कैसे हो रही है ।
श्रम विभाग के अधिकारियों को यह तक देखने की फुर्सत नहीं है की इंडस्ट्री में काम करने वाले हैं कर्मचारियों को कंपनी की तरफ से मास्क, सैनिटाइजर ,ग्लोब्स उपलब्ध कराए जा रहे हैं या नहीं, कर्मचारियों के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा है या नहीं, कोई कर्मचारी खांसी ,जुकाम से पीड़ित तो नहीं है ,ऐसे में शहर के इंडस्ट्रियल एरिया में जहां हजारों कर्मचारी ,धारा 144 के बाद भी काम कर रहे हैं, किसी एक के भी संक्रमित होने पर पूरा शहर इसकी चपेट में आ सकता है, जिसका जिम्मेदार श्रम विभाग ही होगा विडंबना देखिए कि जहां कोरना संक्रमण को देखते हुए प्रशासन ने पूरे शहर को एवं शासन ने पूरे मध्यप्रदेश को लॉक डाउन किया हुआ है तो वहीं दूसरी ओर हजारों श्रमिकों को राम भरोसे छोड़ दिया है, गौरतलब है कि उज्जैन श्रम विभाग इंदौर उज्जैन अप डाउन पर चल रहा है।
बाहर हाल कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए उज्जैन प्रशासन एवं श्रम विभाग को हजारों कर्मचारियों के स्वास्थ्य के बारे में ध्यान देने की आवश्यकता है अन्यथा हजारों कर्मचारियों के साथ काम करने पर कोरोना संक्रमण के होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता एवं किसी भी ऐसी अवस्था के लिए प्रशासन एवं श्रम विभाग ही उत्तरदाई होगा, अब देखना यह है की श्रमिकों के अधिकारों एवं उनके कार्य क्षेत्र में हर एक घटना के लिए उत्तरदाई श्रम विभाग ,श्रमिकों के स्वास्थ्य के हित में क्या कदम उठाता है।
