महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है,ऐसा पहली बार हुआ है जब राष्ट्रपति ने किसी मुख्य न्यायाधीश को राज्यसभा के लिए नामित किया हो,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रंजन गोगोई का कार्यकाल करीब साढ़े 13 महीने का रहा. इस दौरान उन्होंने कुल 47 फैसले सुनाए,नवंबर 1954 को जन्मे रंजन गोगोई ने साल 1978 में बतौर एडवोकेट अपने करियर की शुरुआत की थी. रंजन गोगोई ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में वकालत की. उनको संवैधानिक, टैक्सेशन और कंपनी मामलों का दिग्गज वकील माना जाता था. फरवर 2001 को गुवाहाटी हाईकोर्ट का स्थायी न्यायमूर्ति नियुक्त किया गया,सितंबर 2010 को उनका तबादला पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में कर दिया गया,दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए तो उनकी जगह रंजन गोगोई चीफ जस्टिस बने।
ज्ञात रहे कई वर्षों से लंबित राम मंदिर निर्माण मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली बेंच ने ही राम मंदिर मामले में फैसला सुनाया था. उन्होंने इस मामले में लगातार 40 दिनों तक सुनवाई कर केस का निपटारा किया था,सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन उन्हें दे दी. जबकि मुस्लिम पक्षकार (सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड) को अयोध्या में अलग से 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया. कोर्ट ने केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट गठित करने का भी आदेश दिया था।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं.
असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले को रंजन गोगोई के लिए इनाम बताया है. उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘क्या यह इनाम है?’ लोग न्यायाधीशों की स्वतंत्रता पर यकीन कैसे करेंगे?
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने राज्य सभा का सदस्य नामित किए जाने की खबर को अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘यह तस्वीरें सब बयां करती हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने लिखा, ‘मुझे आशा है कि रंजन गोगोई की समझ अच्छी है इसलिए वो इस ऑफर को ना कह देंगे. नहीं तो न्याय व्यवस्था को गहरा धक्का लगेगा।
वही रिटायर्ड चीफ जस्टिस रंजन गोगोई का कहना है कि शपथ लेने के बाद ही बताऊंगा ।
आम जनता का कहना है राजनीतिक पार्टियों द्वारा सेलिब्रिटी उद्योगपति एवं खिलाड़ियों को राज्यसभा में भेजने से अच्छा है की सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा राज्यसभा में भेजा जाना अतः लोगों के हिसाब से यह उचित कदम है।
