भारत का दिल हुआ तार तार ,कैसे हुआ,किसने किया,किसने करवाया,इन सब बातों के अब कोई मायने नहीं है, लेकिन जो हुआ वह भारत के इतिहास में काले दिवस के रूप में दर्ज हो चुका है, एक ऐसा तीर जोहर भारतीय के दिल के अंदर तक धस गया ,ओर एक ऐसा घाव दे गया जिसकी भरपाई असम्भव सी लगती है, ऐसा प्रतीत होता है कि हिन्तुस्तान की अनेकता में एकता को किसी की नज़र लग गई हो और वह उसे भंग करने को आतुर है, यह भारत के हर नागरिक की परीक्षा की घड़ी है, आत्म मंथन का समय है, हमें न किसी अंग्रेज को दोष देना है, ओर न ही किसी जयचंद को ,सिर्फ और सिर्फ आत्म चिंतन की आवश्यकता है, चिंतन भारत के हर नागरिक, हर धर्म सम्प्रदाय को इस पर भी करना आवश्यक है की हम किससे लड़ रहे हैं,70 साल से एक साथ रहने के बाद अचानक एक दूसरे की जान के दुश्मन हम किसके बहकावे में आकर बन बैठे हैं,ओर मंथन इस बात पर भी आवश्यक है कि इससे हासिल क्या होने वाला है ,इस बात पर हम चिंतन करें तो पाएंगे कि इसका कोई अंत भी नहीं है, ओर हर बार हिन्दू मुस्लिम ही क्यूं?,जबकि भारत में अनेक धर्म सम्प्रदाय के लोग रहते लेकिन किसी ओर धर्म को लेकर वैमनस्य का प्रदर्शन नहीं किया जाता, इस प्रकार के कई सवाल हैं जिनके जवाब हमें तलाशने होंगे,तलाश इसकी भी आवश्यक है कि इस फ़साद की जड़ कहाँ है, वे कौन लोग हैं जो इसमे शामिल हैं,ओर किसने देश की शांति, एकता ओर अखंडता को प्रभावित करने का प्रयास किया, इंकार इस बात से भी नहीं किया जा सकता कि यह पड़ोसी देश की साज़िश हो,राजनैतिक षड़यंत्र से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
नागरिकता संशोधन कानून CAA जिसका मूल उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, से भारत आने वाले हिंदू, ईसाई, पारसी,जैन, बौद्ध,सिख, धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी,इसमे मुस्लिम लोगों को शामिल नहीं करने का कारण यह बताया है कि ये सभी देश इस्लामी देश हैं,एवं मुस्लिम बहुल हैं ,भारत मे रहने वाले मुस्लिम नागरिकों की नागरिकता पर इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर दिल्ली में इतने दिनों से यह बवाल हो किस बात पर रहा है, इसको समझने की कोशिश करते हैं ,दरअसल हाल ही में हुए पश्चिम बंगाल के चुनाव में अराजकता की पराकाष्ठा का प्रदर्शन पूरे भारत ने देखा, इसके पीछे वह लोग हैं जो अमूमन बांग्लादेश से काम की तलाश में भारत आए और शरणार्थी बनकर सालों से रह रहे हैं लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते क्षेत्रीय दलों ने अनैतिक तरीके से वोट बैंक की राजनीति के कारण इन्हें भारत की नागरिकता दिलाने की असफल कोशिश की जा रही है, नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा असर इन्हीं लोगों पर होगा, यहां देखने वाली बात यह है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दल इनका अपने राजनीतिक स्वार्थ के चलते साथ दे रहे हैं एवं यह विदेशी शरणार्थी बजाए अपने देश में वापस जाने के भारत की नागरिकता पाने की मंशा लिए बैठे हैं और यहां के मुस्लिम संप्रदाय को बरगला कर ,और उनके मन में भय उत्पन्न करके अराजकता का माहौल तैयार कर रहे हैं ताकि भारत के हिंदू -मुस्लिम को बांटा जा सके, इस साजिश को भारत में रह रहे भारत के नागरिक मुस्लिम संप्रदाय को समझने एवं इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।
दिल्ली में हुए दंगों के पीछे किस राजनीतिक दल का कितना सपोर्ट है यह जांच का विषय है लेकिन आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान का भड़काऊ बयान एवं आम आदमी पार्टी के ही पार्षद ताहिर हुसैन के घर से पत्थर पेट्रोल पंप केमिकल आदि का मिलना एवं वीडियो में खुद ताहिर हुसैन का हथियार लिए मौजूद होने को इस दंगे की मुख्य कड़ी के रूप में देखा जा रहा है ।
दिल्ली में हुए भयावह दंगों के बाद सोशल मीडिया पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक क्षतिपूर्ति लेटर वायरल हो रहा है जिसमें दंगों में मरने वालों को 10 लाख रुपए एवं नाबालिक मृतक एवं स्थाई अक्षमता को 5-5 लाख ,गंभीर घायल को 5 लाख ,अनाथ को 3 लाख आदि ,वहीं पूरा घर नष्ट होने पर 5 लाख एवं भारी नुकसान होने पर ढाई लाख रुपए मुआवजा देने का घोषणा पत्र दिखाया जा रहा है इसमें विशेषता यह है कि यह समस्त मुआवजा राशि सिर्फ मुस्लिम समुदाय को संबोधित करते हुए दर्शाई गई है जिसे लेकर लोगों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है विशेषकर दिल्ली एवं देश में में रहने वाले हिंदू संप्रदाय को ,दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का यह मुआवजा लेटर हिंदू ,मुस्लिम संप्रदाय के बीच में वैमनस्य उत्पन्न करने का काम कर रहा है, अगर यह सत्य है तो।
समय की मांग यह है कि भारत के सभी राजनीतिक दल अपने राजनीतिक लाभ हानि को दरकिनार करके भारत में अमन और शांति के लिए संयुक्त रूप से प्रयास करें।
नेशनल लाइव, सोशल मीडिया पर उपरोक्त दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जारी किए हुए मुआवजा लेटर के सही या गलत होने की पुष्टि नहीं करता है।
