लोकसभा में भारतीय नागरिकता बिल पास होने के बाद बुधवार को केंद्र सरकार का प्रस्तावित नागरिक संशोधन बिल राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बनकर लागू हो जाएगा। नागरिक संशोधन बिल के तहत अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल कर पाएंगें।
नागरिक संशोधन बिल के प्रमुख बिंदु इस प्रकार है-
- भारतीय नागरिक से विवाह करने वाले किसी व्यक्ति के लिए।
- भारतीय नागरिकों के ऐसे बच्चे जिनका जन्म विदेश में हुआ हो।
- ऐसा व्यक्ति जिसके माता-पिता भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत हों।
- ऐसा व्यक्ति जिसके माता-पिता में से कोई एक स्वतंत्र भारत का नागरिक रहा हो।
- गौरतलब है कि नागरिकता अधिनियम, 1955 में धर्म का कोई उल्लेख नहीं है।
- यह अधिनियम पांच तरीकों से नागरिकता प्रदान करता है: जन्म, वंश, पंजीकरण, नैसर्गिक और देशीयकरण के आधार पर।
बहरहाल दोनों सदनों में कांग्रेस, सीपीआई,के बिल के विरोध के एवम शिव सेना के सहयोग नहीं करने के बाद भी नागरिक संशोधन बिल दोनों सदनों में पास होना,इसे मोदी सरकार की बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है,धारा 370,एवम 35 ए के जम्मू कश्मीर से हटाने वाले बिल के बाद यह दूसरा बड़ा मुद्दा है जिसे मोदी सरकार दोनों सदनों से पास कराने में कामयाबी मिली है।
मोदी सरकार का कहना है कि एन आर सी को भी पूरे देश मे लागू किया जाएगा।
