कहावत है कि ” निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय”,कहते हैंं कि जो व्यक्ति अपनी निंदा नहीं सुन सकता वह जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता ,वहीं जो व्यक्ति अपने निंदक को अपने पास रखता है और उससे अपनी निंदा अर्थात कमियों को जानकर उसमें सुधार करता है उसे लक्ष्य की प्राप्ति जरूर होती है।
लोकतंत्र के चारो स्तंभों मैं सबसे मजबूत स्तंभ होता है ,मीडिया अर्थात पत्रकारीता, पत्रकार को निंदक का दर्जा प्राप्त है इसी के चलते पत्रकारिता का लोकतंत्र में एक उच्चतम एवं सम्मानित स्थान है ,पत्रकार वह है जिसे जनता चुनती नहीं है,लेकिन अपने द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों से ज्यादा हितेषी मानती है, पत्रकार ,समाज के एक सदस्य की भांति होता हैं, जो जनता की समस्या ,आवश्यकताओ का आकलन कर जिम्मेदारों के संज्ञान में लाकर उसका निराकरण करने में प्रमुख भूमिका अदा करता है,वहीं समाज से भी अच्छाई एवम बुराई को भी उजागर करता है।
पत्रकार का जीवन कितना संघर्षमयी होता है, सत्य, असत्य को उजागर करने की राह में उसे कठिनाइयों का ,विरोध का,सामना करना पड़ता है, हर पग वह दोस्त कम दुश्मन ज्यादा बनाता है, लेकिन कलम की ताक़त सबसे बड़ी होती है, जो उसे समाज मे सच का आईना दिखाने के लिए निडर एवम साहसिक बनाती है, हर मौसम में रात दिन अपने कर्मक्षेत्र में समर्पित रहता है, राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस पर उज्जैन सिटी प्रेस क्लब द्वारा आयोजित “परि संवाद” कार्यक्रम में पत्रकारों ने ना सिर्फ अपने पत्रकारिता से जुड़े अनुभव बयां किये बल्कि पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों से भी परिचय कराया।
पत्रकारिता किसी चाटुकारिता का नाम नही ,राजनैतिक परिदृश्य में , सरकार और जनता के बीच की धुरी होता है पत्रकार , उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के अवसर पर कहा कि राजनीतिक दल और कारोबारी समूह अपना अखबार शुरू कर अपने निहित हितों को बढ़ावा दे रहे हैं और पत्रकारिता के मूल्यों के साथ समझौता कर रहे हैं।
कई राजनैतिक दल अपने अख़बार ,टीवी चैनल चला रहे हैं, जिसके जरिये वे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करते हैं, स्वमं की वाहवाही ओर अपने प्रचार प्रसार का साधन बनाया जा रहा है ,वहीं सत्य को दबाने की कोशिश भी की जाती है, जिससे समाज मे पत्रकारिता की छवि धूमिल होती जा रही हैं, इसके चलते पत्रकारिता जगत पर सवालिया निशान लग रहा हैं,उपराष्ट्रपति महोदय ने इस विषय पर चिंता ज़ाहिर की ,वहीं सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने कहा कि ‘प्रेस के लिए यह दिन अपनी आजादी के साथ जिम्मेदारी को भी समझने का है. आज पेड न्यूज से ज्यादा फेक न्यूज का संकट है.’।
बहरहाल चिंतन का विषय यह है कि पत्रकारिता जगत में गैर पत्रकारों का दख़ल बढ़ता जा रहा है, राजनेता, भू माफिया, खनन माफिया, शराब माफिया ,व्यापारी उधोगपति, यहाँ तक कि ईंट के भट्ठे वाला भी पत्रकार का चोला ओढ़े घूम रहा है, ओर इसकी आड़ में वे अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने मे सफल हो रहे है,राजनेताओं के अख़बार ,टीवी चैनल,होने से सरकार एवम विपक्ष दोनो के घोटाले उजागर होने से बच जाते हैं, आपराधिक प्रवृत्ति के लोग पत्रकारिता जगत में आने से ब्लेकमेलिंग का काला खेल भी बढ़ता जा रहा है, जरूरत इस बात की है कि पत्रकार को पत्रकार ही रहने दो उसे नेता,व्यापारी ,कारोबारी मत बनाओ, ओर इनमे से किसी को पत्रकार भी मत बनाओ,पत्रकारिता को निष्पक्ष एवम निष्कलंक ही रहने दो,अगर यह चौथा स्तम्भ हिला तो पूरा लोकतंत्र धराशाही हो जायेगा,लक्ष्य प्राप्ति ,देश की उन्नति और विकास के लिए निंदक (पत्रकार) का होना अति आवश्यक है।

