– कैबिनेट की डिफेंस मामलों की कमेटी ने इसे मंजूरी दे दी है।
– गुरुवार शाम तक फ्रांस के डिफेंस मिनिस्टर नई दिल्ली पहुंचेंगे। उनके साथ Dassault Aviation के CEOs भी भारत आ रहे हैं। राफेल को फ्रांस की Dassault Aviation बनाती है।
– फाइटर्स प्लेन की सख्त जरूरत है। आखिरी बार वायुसेना को 1996 में रूस से सुखोई 30 एमकेआई मिले थे। पुराने हो चुके मिग-21 और मिग-27 विमान बेड़े से हटाए जा रहे हैं।
– स्पीड 2250-2500 किमी प्रति घंटे तक। फ्यूल कैपेसिटी 4700 लीटर।
– यह एयरक्राफ्ट कैरियर से भी उड़ान भर सकता है। ब्रह्मोस जैसी 6 एटमी हथियार वाली मिसाइल ढोने की काबिलियत।
– 3 लेजर गाइडेड बम, हवा से जमीन पर मार करने वाली 6 मिसाइल। हवा में भी फ्यूल भरने की कैपेसिटी। लगातार 10 घंटे तक उड़ सकता है।
– फ्रांस सरकार ने 4 यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इसे बनाना शुरू किया था।
– बाद में जब बाकी तीन देश अलग हो गए तो फ्रांस ने अकेले दम पर ही प्रोजेक्ट को पूरा किया।
– राफेल को लीबिया, माली और इराक में इस्तेमाल किया जा चुका है। अफगानिस्तान में अल कायदा के खिलाफ नाटो के अभियान में इसका अहम रोल था।
– भारत ने हाल ही में देश में ही बने 2 तेजस फाइटर को एयरफोर्स में शामिल किया है। हालांकि इसका पूरा एडवांस्ड वर्जन 2018 तक आएगा।
– तेजस को शामिल कर भारत ने एक तरह से फाइटर प्लेन की सेकंड लाइन तैयार की है।
– वहीं अमेरिकी F/A-18 और F-16 फाइटर और स्वीडिश ग्रिपन-ई को भी भारत में ही बनाने के लिए बातचीत जारी है।
– इन सभी 4th जेनरेशन के फाइटर प्लेन डेवलप करने के अलावा भारत, रूस से मल्टी-रोल FGFA सुखोई टी-50 या PAK-FA के लिए बात करने वाला है।
– रूस के साथ 5th जेनरेशन फाइटर के लिए रिसर्च एंड डेवलमेंट (R&D) डिजाइन को इस साल अंतिम रूप दे सकता है।
