आवारा मवेशियों को धारा 144 का ज्ञान नहीं, एवं उज्जैन शहर को स्मार्ट सिटी का

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भारत में स्वच्छता अभियान एवं स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की घोषणा को 5 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है लेकिन बेरोजगार उज्जैन शहर के परिदृश्य को देखते हुए एवं  स्थानीय प्रशासन  की कार्यशैली  देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि ना सिर्फ स्वछता अभियान बल्कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट अगले 5 साल तक  भी उज्जैन शहर मैं यह सपना साकार होता नजर नहीं आ रहा, स्वच्छता अभियान की बात करें  तो  हालात यह हैं कि पूरे शहर में आवारा मवेशी (गाय, कुत्ते, सूअर) खुलेआम विचरण कर ना सिर्फ शहर में गंदगी फैला रहे हैं बल्कि शहर में दुर्घटनाओं का कारण भी बन रहे हैं आलम यह है कि शहरवासियों द्वारा प्रशासन को कई बार शिकायत करने एवं  मीडिया में खबर  आने पर प्रशासन द्वारा धारा 144 इन दिनों लागू की गई है लेकिन पशुपालकों पर इसका कोई असर नहीं देखा जा रहा है प्रशासन के आदेश में यह कहा गया है कि पशुपालकों द्वारा पशुओं को शहर में आवारा विचरण करने के लिए छोड़ने पर धारा 144 का उल्लंघन माना जाएगा एवं धारा 188 के तहत कार्रवाई की जाएगी प्रशासन इस विषय में कितनी सख्ती दिखाएगा यह तो समय ही बताएगा।

मोदी सरकार के स्मार्ट शहर बनाने मैं उज्जैन का नाम आने से शहरवासियों में आशा की किरण जगी थी की शहर स्मार्ट होगा तो शहर वासियों रोजगार मुहैया कराने के चलते बड़े उद्योगों की स्थापना की जाएगी, महाकालेश्वर मंदिर एवं हरसिद्धि शक्तिपीठ जैसे प्रमुख मंदिरों एवं मोक्ष दायिनी शिप्रा  से सुशोभित उज्जैन शहर में पर्यटन के क्षेत्र में उज्जैन को विकसित किया जाएगा ,लेकिन उज्जैन की जनता ने बड़े अफसोस के साथ इस बात का इजहार किया की पिछले 25 सालों से उज्जैन की जनता ने उदासीन जनप्रतिनिधियों को चुना, जिन्होंने खुद का विकास तो किया लेकिन शहर वासियों के रोजगार एवं शहर के विकास के प्रति उदासीन रवैया अपनाया ,नतीजतन उज्जैन शहर रोजगार एवं विकास मुक्त हो गया है, वहीं 12 साल मैं एक बार उज्जैन शहर में लगने वाले सिंहस्थ मेले के चलते हुए कुछ विकास कार्यों का  चुनाव के दौरान जनप्रतिनिधियों द्वारा अपना बताकर लोगों की आंखों पर पट्टी बांधने की कोशिश की गई, अफसोस की बात यह भी है कि उज्जैन की जनता के लिए राजनैतिक सिक्के के दोनों पहलू एक जैसे ही निकले, एवं ठग विद्या में निपुण साबित हुए।

बहरहाल उज्जैन की जनता को इंतजार है की शहर के जनप्रतिनिधि एवं शासन ,प्रशासन के उदासीनी रवैया को त्याग कर नींद से जागने का , और इंतजार इस बात का भी है की कभी तो कोई जनप्रतिनिधि जनता के विश्वास पर खरा उतरते हुए उनके रोजगार एवं शहर के विकास के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेगा एवं कोई सख्त प्रशासनिक अधिकारी जो शहर को स्वच्छ एवं विकसित बनाने में अपनी सख्त कार्य शैली का प्रदर्शन करेगा।

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