लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में देश के हर क्षेत्र का सजीव चित्रण करता है, पत्रकार, जिसकी कलम जनता को देश में घट रही घटनाओं के वास्तविक स्वरूप से परिचय कराती है ,जिस पर जनता का अटूट विश्वास होता है ,जिस पर लोकतंत्र के तीनों स्तंभों के कार्यकलापों को अपनी कलम से सच्चा चित्रण एवम मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी होती है, अखबार, पत्रिका, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं आधुनिक दौर में न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से पत्रकार देश का आईना जनता को दिखाता है ,यह एक चिंतनीय विषय है कि पत्रकारिता के इस चरित्र को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, गैर पेशेधारियों के हस्तक्षेप एवं अतिक्रमण बढ़ने के चलते पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है।
अपने काले कारनामों को छिपाने के लिए कोई अवैध खनन माफिया, शराब माफिया, भू माफिया ,तो कोई सट्टेबाज एवं अपराधी पत्रकारिता का चोलाा ओढे हुए है, धन एवं बल के चलते उन्हें शासन से अधिमान्यता भी हासिल है जबकि वास्तविक पत्रकारों कि शासन के विभाग द्वारा अवहेलना एवं अनदेखी की जा रही है, शासन को इस विषय पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है एवं उचित मापदंड निर्धारित करने की भी आवश्यकता है, ऐसा ना करने पर लोकतंत्र के चौथे महत्वपूर्ण स्तंभ के कोई मायने नहीं रह जाएंगे एवं इसकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
पत्रकारिता के क्षेत्र में राजनैतिक हस्तक्षेप भी बढ़ता जा रहा है, पत्रकारों की सच्ची कलम को तोड़ने की कोशिश की जा रही है ,जरूरत इस बात की भी है की पत्रकार संगठनों को एकजुटता दिखाते हुए गैर पेशेवर एवं पत्रकारिता को धूमिल करने वाले पत्रकार का चोला ओढ़े हुए अमान्य लोगों को इस क्षेत्र से बाहर का रास्ता दिखाने की, अन्यथा काली स्याही के छीटे पूरेे पत्रकार जगत को काला कर सकते हैं, वहीं इसके चलते पत्रकारिता का अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।
“पत्रकार की राह नहीं है आसाँ ,
निष्पक्ष एवं सत्य का प्रतिबिंब है पत्रकार,
निडर ,साहस जैसे बाण है जिसके तूणीर में,
हर कदम पर कांटे ,मुफलिसी और दुश्मन हजार हैं जिसके, फिर भी विश्वास है उसको अपनी कलम पर, ताकत है उसके शाब्दिक तीर में ,अन्याय के सीने को भेदने की ,
कंस चाहता है श्री कृष्ण का चोला ओढ़ कर, सुदर्शन धारण करना, अंधियारा चाहता है दीपक के प्रकाश को विलुप्त करना,
यह राह नहीं है आसाँ बस इतना समझ लीजिए,
आग का दरिया है डूब कर जाना है”
