दिसंबर 2018 मैं हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद बसपा ,सपा एवं अन्य की मदद से कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी, बनते ही सबसे पहला मुद्दा था किसानों की कर्ज माफी, जो वादा चुनाव के दौरान कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी ने किया था उन्होंने घोषणा की थी कि कांग्रेस की सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ किया जाएगा, लेकिन 9 माह बीतने के बाद भी कमलनाथ सरकार राहुल गांधी का वादा पूरा नहीं कर पाई है, किसानों की कर्ज माफी ना होने के चलते आत्महत्या के मामले आए दिन मध्यप्रदेश में सामने आ रहे हैं लेकिन कमलनाथ सरकार ,मध्य प्रदेश सरकार के पास फंड की कमी का हवाला देती आ रही है ऐसे में सवाल यह उठता है कि चुनावी वादे बिना फंड के कैसे किए गए ऐसे में कुछ किसानों का यह भी आरोप है कि क्या यह वादा राहुल गांधी का व्यक्तिगत था ।
बहरहाल मध्यप्रदेश में हैट्रिक लगाने वाले एवं चौका लगाने से चुके मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों मध्य प्रदेश में बारिश के कहर से फसलों के खराब होने के चलते बुरे हालातों से गुजर रहे किसानों के साथ खड़े दिख रहे है और कमलनाथ सरकार को 22 सितंबर का अल्टीमेटम उन्होंने दिया है उनका कहना है कि किसानों की बारिश के चलते फसलों के नुकसान की भरपाई ₹40000 प्रति हेक्टेयर की दर से की जाना चाहिए ,उन्होंने कमलनाथ सरकार को राहुल गांधी का किया हुआ वादा भी याद दिलाते हुए किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करना एवं बिजली के बिलों में हुई बढ़ोतरी वापस लेने की मांग भी की, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार को 21 सितंबर तक का समय दिया है, अपने वादे एवं किसानों के नुकसान की भरपाई करने के लिए, अन्यथा पूर्व मुख्यमंत्री ने वर्तमान मुख्यमंत्री को खुली चुनौती देते हुए 22 सितंबर को 12:00 बजे किसानों के साथ अपनी मांगों को लेकर विरोध एवम धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन कर कमलनाथ सरकार को घेरने का ऐलान किया है उन्होंने कहा कि किसानों का मामा अभी जिंदा है और वह किसानों के हक़ की लड़ाई लड़ने में उनके साथ है, अब देखना यह है कि कमलनाथ सरकार शिवराज सिंह चौहान एवं किसानों की मांगों को किस हद तक पूरा कर पाते हैं, या ऐसा ना करने पर शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ सरकार को किस तरह चुनौती दे पाएंगे?
