बुझ गया दिया, फैला तिमिर हिन्दोस्तां में,
भारत का लाल अरूण ,जब पंचतत्व में हुआ विलीन।
बना एक और मित्र अटल का नभ में, एक तरफ मिला साथ सुषमा का ,तो दूसरा जेटली ।
सुना है सावन में हर तरफ होती है हरियाली , अचानक यह सावन में पतझड़ कैसे हो गया।
छूट गया संगी- साथी ऐ मोदी, जीवन का सच्चा यार चला गया , याद करेगा तुझे चिरकाल तक हर भारतवासी ,था तू भारत की राजनीति का अजातशत्रु।
कैसे कहूं अब ,हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा, कैसे बंधाऊँ ढांढस खुद को , दल को ,बिना तेरे ये जग बेज़ार हो गया ।
काट दिए हाथ दोनों काल के गब्बर ने ,बुझ गए दिए अब, थे दिलों में शोले जिनके,आंखों में सागर भर दिए , जय तूने वीरू की , सुना मेरा संसार करके,ऐ मेरे यार तू कहां चला गया।
चलता था मैं वरुण के वेग से ,जब साथ तेरा था ऐ अरुण ,मुमकिन होता कि मैं तुझे ना जाने देता ,अब ये कैसे कहूंगा कि मोदी है तो मुमकिन है।
जीवन का अटल सत्य यही है ,आज स्वीकार हमें है करना ,सत्य बन गया है सितारा ,जो कल तक था हम सबका प्यारा ,अब हो गया वह “राम” का दुलारा,
बहते हुए मेरी आंखों के झरने, करेंगे याद तुझे हर पल, यादों के इस भँवर में ,तुम बहुत याद आओगे अरुण।
भारत के पूर्व रक्षा एवं वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली को “विनम्र श्रद्धांजलि”
