यह जानकर मध्य प्रदेश की जनता को घोर आश्चर्य होगा, की कोई सरकार बिजली में भी आरक्षण ला सकती है, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल ने विद्युत संबंधित कई प्रस्तावो पर मंजूरी दी, इसके बाद मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों को विशेष छूट देते हुए ,30 यूनिट उपभोग करने पर ₹25 प्रति माह कि दर से बिजली मोहिया कराई जाएगी और यह बिल भी 4 महीने में एक बार विद्युत कंपनी की ओर से भेजा जाएगा ऐसे में मध्य प्रदेश की जनता ने कमलनाथ सरकार से सवाल किया है कि मध्य प्रदेश के हर जाति ,समाज ,वर्ग ने समान मताधिकार का प्रयोग करते हुए ,15 साल से शासित, माई के लाल की सरकार को दरकिनार करते हुए, कांग्रेस को सत्ता की कमान सौंपी लेकिन महज 8 महीने के बाद ही कमलनाथ सरकार ने मध्य प्रदेश की जनता के बीच जातिगत लकीर खींचते हुए बिजली में भी जातिगत आरक्षण देते हुए ,आम जनता के साथ भेदभाव किया ,मध्यप्रदेश में स्वर्ण एवं अन्य वर्गों में इसको लेकर गहरा आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है, उनका कहना है कि वोट लेते समय राजनीतिक दल यह वादा करते हैं कि हम जनता के साथ समान व्यवहार करेंगे एवं अपनी नीतियों मैं हर जाति ,धर्म एवं समाज के लिए समरूपता होगी, लेकिन सत्ता पाने के बाद जनता के बीच इस प्रकार जातिगत आधार पर जनता के साथ भेदभाव सरकार की कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह लगाता है ।
जनता का यह भी कहना है कि कमलनाथ सरकार को, जातिगत आधार पर कम दामों पर बिजली उपलब्ध ना करा कर सभी वर्गो के गरीब तबकों में समान रूप से इस व्यवस्था को लागू किया जाना था, हर जाति ,समाज मैं गरीब होते हैं ,इसे किसी विशेष जाति से जोड़ना न्याय संगत नहीं ।
आरक्षण की व्यवस्था भी परीक्षण एवं अस्थाई तौर पर महज कुछ सालों के लिए अमल में लाई गई थी लेकिन कई दशक बीतने के बाद भी कोई भी राजनीतिक दल इसमें बदलाव या समाप्त करने की पहल करता नहीं दिखता ,लगातार इसमें बढ़ोतरी करने की ही कोशिश की जा रही है ,जिसके चलते काबलियत आरक्षण के पैरों तले दबती जा रही है ,काबलियत का बल पूर्वक गला घोटना ,भारत के विकास एवम काबिल युवाओं के भविष्य की राह में प्रमुख बाधा बनता जा रहा है,समाज के हर उस गरीब, शोषित, वंचित तबक़े की आर्थिक आधार पर मदद कर हर युवा को क़ाबिल बनाने का प्रयास किये जाने की प्राथमिकता हर राजनैतिक दल की होनी चाहिये, लेकिन सरकारों की नीतियां बिलकुल इसके विपरीत दिशा में जाति दिख रही है, जिसके परिणाम स्वरूप क़ाबिल होने के बाद भी युवाओं को रोजगार ना मिलने के चलते ,भारत का क़ाबिल युवा ,विदेशो की GDP बढ़ा रहे हैं।
बीते मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान स्वर्णिम वर्गों द्वारा आरक्षण पर तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा माई का लाल शब्द प्रयोग करने पर स्वर्णिम वर्ग ने गहरा आक्रोश व्यक्त किया था एवं सभी राजनीतिक दलों से मांग की थी की आरक्षण की व्यवस्था जाति और धर्म के आधार पर ना होते हुए हर वर्ग के गरीब तबके के लिए समान रूप से लागू किया जाना चाहिए लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार की इस विषय पर परिवर्तन के लिए गंभीर नजर नहीं आ रही ,बहरहाल राजनीतिक दलों एवं सरकारों द्वारा इस प्रकार सामाजिक एवं जातिगत आधार पर जनता के बीच भेदभाव एवं मतभेद की लकीर खींचने को कतई भी जायज नहीं ठहराया जा सकता, मध्यप्रदेश के कई स्वर्णिम संगठनों का कहना है कि मध्यप्रदेश में दूसरे माई के लाल का जन्म हो चुका है ।
