उज्जैन, हर साल त्योहारों के ठीक पहले खाद्य विभाग की कार्रवाई ,एक रूटीन प्रोसेस है, जिसके तहत हर साल कई क्विंटल नकली मावा, घी एवं दूध से बनी अन्य वस्तुओं को दुकानों पर छापामार कार्रवाई कर जप्त किया जाता है एवं जाँच के लिए सैंपल भेजे जाते हैं, लेकिन मिलावट पाए जाने पर कार्रवाई के नाम पर एसडीएम कोर्ट में महज कुछ रकम जुर्माना और फिर से वही ढाक के तीन पात।
मिलावटखोर जोकि खाने की वस्तुओं में जानलेवा केमिकल, यूरिया आदि मिलाकर लोगों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड कर रहे हैं एवं पकड़े जाने पर महज चंद सिक्कों का जुर्माना भरकर फिर छूट जाते है ,ऐसे में मिलावटखोरों को कड़ी सजा ना मिलने के चलते इनके हौसले दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं वास्तव में अगर शासन-प्रशासन ठोस एवं कड़ी कार्रवाई करती है तो शहर में कई मावे, घी एवं दूध की डेयरियों पर हमेशा हमेशा के लिए ताले डल जाएंगे एवं कई मिलावटखोर दुकानदार सलाखों के पीछे नजर आएंगे।
मिलावटखोरी पूरे साल बदस्तूर जारी रहती है क्योंकि मिलावटखोरो में इसका जरा भी डर नहीं है उन्हें पता है की पकड़े जाने पर कुछ जुर्माना एवं औपचारिक कार्रवाई के बाद छोड़ दिए जाएंगे लेकिन ऐसे मैं जनता मैं काफी आक्रोश दिखाई दे रहा है , जो लोग जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं यहां तक कि उनके बच्चों के पीने वाले दूध मैं भी जहर घोलने से नहीं हिचकीचाह रहे, उन्हें महज कुछ जुर्माना लगाकर छोड़ देना, जनता के साथ न्याय नहीं कहा जा सकता ,अतः जनता की शासन प्रशासन से मांग है कि इस प्रकार के मिलावटखोरों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने की आवश्यकता है ताकि ऐसे लोगों को सलाखों के पीछे धकेला जा सके।
डॉक्टरों की माने तो इस प्रकार के मिलावटी खाद्य पदार्थ के खाने से लोगों में कई प्रकार की बीमारियां हो सकती है जिनमें अल्सर ,आंतों का सड़ना, हार्ट अटैक, कैंसर थायराइड एवं दिमागी बीमारियां होने की संभावना होती है यहां तक कि किडनी एवं लिवर के भी खराब होने की संभावना होती है जिससे कारण इंसान की जान भी जा सकती है।
कितनी विचित्र बात है कि जो व्यक्ति दूध ,मावे ,घी ,पनीर मैं मिलावट कर चंद सिक्के पाकर खुश हो जाता है लेकिन वह इस बात से अनजान हैं की उसके जैसे कई और मिलावटखोर ,सब्जियों में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल एवं रंगों का उपयोग करते हैं, वहीं नमकीन मैं निम्न कोटि के खाद्य पदार्थ मिलाते हैं और इन मिलावटी वस्तुओं से खुद उसका परिवार भी सुरक्षित नहीं है अर्थात आपने दूसरों के लिए गड्ढा खोदा एवं दूसरों ने आपके लिए एवं आपके परिवार के लिए, मिलावटखोर इस बात से अनजान है कि उनका परिवार भी होटलों में खाना खाने जाता है तब उन्हें भी यही दूषित एवं मिलावटी पनीर ,मावे एवं दूध से बने खाद्य पदार्थ परोसे जाते हैं ,जोकि उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
बाहर हाल ऐसे मिलावटखोरों के लिए समझाइश या जुर्माना ही काफी नहीं बल्कि कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान होना आवश्यक है ।
कहावत है ,”ऊपर वाले की लाठी में आवाज नहीं होती, लेकिन जनता की लाठी में बहुत आवाज होती है”
