मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को 6 महीने बीत चुके हैं, करने को बहुत कुछ है और कहने को कुछ भी नहीं, लेकिन विडंबना उन शहरों की है ,जहां विधायक विपक्ष बीजेपी के हैं,एवम प्रदेश में सरकार कांग्रेस की, कैसे ?
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और प्रशासनिक अधिकारियों के लिये प्रदेश सरकार का आदेश एवं सरकार की योजनाओं को अमल में लाना प्राथमिकता है ,लेकिन परेशानी वहां उत्पन्न हो जाती है जहां विधायक विपक्ष का हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि विधायक अपने क्षेत्र का जनप्रतिनिधि होने के नाते अपने क्षेत्र की जनता के हित अहित देखना उसकी भी प्राथमिकता होती है ऐसे में प्रशासनिक अधिकारी एवं कर्मचारी के लिए यह बड़ी दुविधा का विषय हो जाता है कि वह प्रदेश सरकार के आदेश का पालन करें या उस क्षेत्र के विधायक को विश्वास में लेकर काम करें ,ओर ऐसे में प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है।
कुछ ऐसा ही मामला इंदौर के भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय द्वारा निगम कर्मचारी के साथ मारपीट करने के मामले में देखने को मिला है ,इस मामले में यह कहा जा रहा है कि निगम कर्मी द्वारा विधायक की अवहेलना की गई ,एक जर्जर मकान गिराने को लेकर यह विवाद हुआ ,अमूमन शहर में निगम द्वारा कोई भी कार्यवाही करने का प्रारूप क्षेत्र के जनप्रतिनिधि (विधायक )के संज्ञान में लाया जाता है, लेकिन इस मामले में निगम कर्मी द्वारा विधायक को तवज्जो ना देना ,एवम निगम कर्मी की मनमानी कहा जा रहा है,ऐसा इसलिए भी है क्योंकि इस मामले में निगम कर्मी धीरेंद्र बायस को न सिर्फ विधायक ने पीटा है बल्कि इंदौर नगर निगम के ही 21 कर्मचारियों द्वारा भी मारपीट की गई, जिसके चलते इंदौर निगम कमिश्नर आशीष सिंह द्वारा इन 21 निगम कर्मचारियों पर भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है कि विधायक द्वारा कानून हाथ में लेकर अपने पद की गरिमा का ध्यान न रखते हुए ये गलत कदम उठाया गया, लेकिन ऐसा क्यों हुआ यह जांच का विषय है, अब यह मामला अदालत पहुंच गया है जिसमें विधायक की जमानत की याचिका को नामंजूर करते हुए जेल भेज दिया गया है ,लेकिन इस मामले से यह सिद्ध हुआ है कि मध्य प्रदेश अब दोहरे चरित्र में दिख रहा है जहां सरकार, प्रशासन और विपक्ष के जनप्रतिनिधि के बीच तनाव एवं तालमेल की कमी स्पष्ट नजर आ रही है और इस प्रकार के मामले क्षेत्र के विकास एवं समस्याओं के निराकरण में गतिरोध का काम करेंगे एवं जनता के मन में भी संशय उत्पन्न करेंगे कि वह अपना दुखड़ा सरकार को सुनाएं ,प्रशासन को या अपने जनप्रतिनिधि को, यही कारण है कि प्रधानमंत्री ने सभी सांसदों से यह कहां की सभी सांसद मिलकर काम करें यह सोचे बिना की वह किसी अन्य पार्टी का सांसद है , क्योंकि सरकार एवं विपक्षी जनप्रतिनिधि के बीच तालमेल की कमी ही उस क्षेत्र के विकास में बाधक होती है।
बाहर हाल इस मामले में जहां एक और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा विधायक की अवहेलना करना ठीक नहीं कहा जा सकता, तो वही विधायक द्वारा शासकीय कार्य में बाधा डालकर प्रशासनिक अधिकारी के साथ मारपीट करना भी उचित नहीं ठहराया जा सकता ,विधायक के जेल जाने से प्रदेश में राजनीति गरमा गई है जहां निगमकर्मी की कार्यशैली के कारण हुए विवाद के चलते बीजेपी विधायक के जेल जाने पर प्रदेश भाजपा द्वारा प्रदेश बंद कर विरोध प्रदर्शन करने पर आमदा है तो वहीँ कमलनाथ सरकार भी प्रशासनिक अधिकारी के साथ मारपीट करने पर आक्रोशित है।
