विक्रम और बेताल की भूमिका में, “रोजगार”

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2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 100 स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की थी ,यह योजना अब तक की देश की सबसे बड़ी ऐतिहासिक योजनाओं में से एक है ,देशव्यापी योजना होने के चलते यह अभी कागजों में ही दौड़ रही है एवं इसकी शुरुआत भर हो पाई है ,जनता ने एक बार फिर मोदी सरकार पर भरोसा जताया है जिससे उम्मीद है कि आगे के 5 सालों में इस योजना को मूर्त रूप दिया जा सकेगा, पूरे भारत के प्रदेशों में बेरोजगारी के आंकड़ो एवं पिछड़ेपन के हिसाब से इस योजना में प्रदेशों के शहरों को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया गया है ताकि हर प्रदेश में पिछड़े शहरों के युवाओं को रोजगार के लिए बड़े शहरों में जाने की आवश्यकता ना हो।
स्मार्ट सिटी की आवश्यकता आख़िर क्यों पड़ रही है?, छोटे शहरों मैं भी माता पिता के लिए बच्चों को शिक्षा के स्तर में बदलाव होने के चलते उच्च शिक्षा के लिए बड़े शहरों में भेजना जरूरी हो गया है ,वही नौकरी एवं व्यापार के लिए भी बड़े शहरों में युवाओं को जाना आवश्यक होता जा रहा है, यही एक प्रमुख वजह छोटे शहरों में संयुक्त परिवार के टूटने की बनती जा रही है ,यहां दोनों पहलू अपनी अपनी जगह सही है ,माता पिता के लिए बच्चों को उच्च शिक्षा एवं अच्छा जॉब मिले यही प्राथमिकता होती है, वही बच्चों के लिए बड़े शहरों में ही नौकरी करना मजबूरी बनता जा रहा है ,वजह छोटे शहरों में बड़े उद्योग एवं आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का ना होना है ,और इसी वजह से भारत में संयुक्त परिवार की परंपरा को गहरा आघात पहुंच रहा है ।संयुक्त परिवार जीवन में कई मायनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ,जिसमें सुरक्षा ,संस्कार एवं अनुशासन प्रमुख बिंदु है, संयुक्त परिवार में एक का दूसरे पर विश्वास सबसे महत्वपूर्ण होता है ,परिवार में अगर किसी को रोजगार नहीं भी मिलता है तो ऐसे में बाकी सदस्य उसको हौसला देते हैं इसी वजह से संयुक्त परिवार में रहने वाले व्यक्ति का आत्मविश्वास प्रबल होता है ,बच्चों की परवरिश भी सुरक्षित एवं अनुशासित होती है ,लेकिन रोजगार के लिए जब युवाओं को बड़े शहरों में जाना पड़ता है ,तब संयुक्त परिवार के यही तथ्य उल्टे साबित होते हैं, घर में महिला एवं बच्चे अकेले हैं तो असुरक्षा का डर ,पत्नी भी नौकरी करती है तो बच्चों की अनुशासनात्मक परवरिश पर प्रश्नचिन्ह, पश्चिमी सभ्यता का युवाओं एवम बच्चों पर हावी होने का डर ,वहीं बूढ़े मां बाप के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा की चिंता ,ऐसे में यह विक्रम बेताल जैसा प्रतीत होता है, जहां युवा को रोजगार एवं परिवार दोनों में से किसी एक को चुनना पड़ता है।
बाहर हाल ऐसे कई सवाल एवं समस्याएं हैं, जिनका की हल ढूंढना अभी बाकी है, लेकिन एक आशा ओर उम्मीद की किरण दिख रही है, जहां मोदी सरकार कि देशभर में 100 स्मार्ट सिटी बनाने की योजना से हर स्मार्ट सिटी में लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे और शायद हजारों संयुक्त परिवार एवं माता पिता के बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद के टूटने की संभावनाएं किसी हद तक कम हो सकती है।
भारत में संयुक्त परिवार ही एक ऐसा मूल मंत्र है जो कि हिंदुस्तान की संस्कृति एवं सभ्यता को जीवंत रख सकता है और इसी में हमारा एवं हिंदुस्तान दोनों का भविष्य सुरक्षित होगा।


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