क्या कानून अंधा है ,गूंगा है, बहरा है या लाचार है, नहीं, अंधे ,गूंगे ,बहरे और लाचार हम हैं ,हमारा समाज है ,हमारे देश के नेता हैं ,हम गर्व से कहते हैं कि हमारा लोकतंत्र सबसे बड़ा एवं मजबूत है लेकिन जब बात अलीगढ़ की 3 साल की बच्ची की हो या उज्जैन की 5 साल की बच्ची की हो ,हमारी लचर कानूनी व्यवस्था के कारण वेहशीदारिन्दों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं, मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और उनकी जघन्य हत्या करने वाले भेड़िए अपने कुकर्मों को आए दिन अंजाम दे रहे हैं ,ऐसे में भारत के सवा सौ करोड़ देशवासियों के सिर शर्म से झुक जाते हैं। हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रह जाते हैं ,आखिर क्यों इस प्रकार के जघन्य अपराध, हमारे समाज ,हमारे नेताओं को झकझोर नहीं रहे ?, हमारी आंखों के सामने आए दिन इस तरह की घटनाएं हो रही है और हम मूकदर्शक बने बैठे हैं, क्यों हमारी आत्मा हमको धिक्कार नहीं रही?
आज आवश्यकता इस बात की है कि सवा सौ करोड़ जनता को एक स्वर में इस प्रकार के घिनौने कृत्यों की रोकथाम के लिए हमारे जनप्रतिनिधियों एवं सरकार को संविधान में सख्त संशोधन कर कानून को सख्त बनाने पर बाध्य करें, सरकार को चाहिए कि इस प्रकार के जघन्य अपराधों के लिए अलग से सख्त एवं त्वरित दंड की कानून व्यवस्था को लागू करें, हमारे परिवार( मां ,बहन ,बेटी )की सुरक्षा के लिए हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधि एवं सरकार उत्तरदाई है तो ऐसे में इस प्रकार के जघन्य अपराधों के लिए सरकार को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ,ताकि कोई वेहशीदरिंदा इस प्रकार के अपराधों को अंजाम देने की ना सोच पाए, जरूरत इस बात की भी है जनता मूकदर्शक ना बन कर अपने परिवार ,अपने समाज, अपने देश के प्रति जागरूक होने की, अन्यथा कानून अंधा है ऐसा कहने का हमारा कोई अधिकार नहीं ।
हम जीवन जी तो रहे हैं लेकिन इस प्रकार की हैवानियत पर हम मौन रहें तो हमारा जीवन अस्तित्व ही कहलाएगा और जीवन में हम खुद को माफ़ नहीं कर पाएंगे, क्योंकि अगर हम मौन हैं तो हम ही धृतराष्ट्र हैं एवं भीष्म पितामह भी हम ही हैं ,लेकिन असत्य ,दुराचारी को दंडित करने के लिए हम आवाज उठाएं तो हम ही श्री कृष्ण भी हैं।
