84 में जो हुआ तो हुआ -सैम पित्रोदा( राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार एवं कांग्रेस के शीर्षस्थ नेता)
1984 में जो हुआ तो हुआ ,यह कांग्रेस का चरित्र मानसिकता और इरादा है -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
अकेले दिल्ली में दो हजार से ज्यादा सिक्खों को मौत के घाट उतार दिया गया एवं पूरे भारत में हज़ारों सिक्खों की हत्याएं हुई ,1984 के नरसंहार में, कितने ही बच्चे अनाथ हो गए, कितनी सिख महिलाएं विधवा हो गई, कितनी ही बहनों के भाइयों की हत्या कर दी गई ,और इस दर्दनाक घटना पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के मित्र एवं मौजूदा राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार सैम पित्रोदा का कहना की ,1984 में जो हुआ तो हुआ ,इसके चलते सिक्ख समुदाय का कहना है कि ,इस बयान से सिक्खों की भावनाओं को न सिर्फ ठेस पहुंची बल्कि 34 साल पुराना ज़ख्म हरा हो गया, सिक्ख समुदाय का कहना है कि सैम का बयान बहुत ही शर्मनाक है।
दरअसल 1984 के तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के अंगरक्षक द्वारा कर दी गई थी ,जो कि एक सिख था, ऐसे में सवाल सवाल यह उठता है कि किसी एक आदमी के किए की सजा पूरे समाज को कैसे दी जा सकती है ।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हत्या के पश्चात
उनके पुत्र राजीव गांधी को प्रधानमंत्री पद सौंपा गया ,वहीं जिस तरह आज सैम के बयान ने सिक्खों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है ,उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बयान पर भी लोगों में खासा विरोध देखा गया था ,जिसमें उन्होंने कहा था ,जब एक बड़ा पेड़ गिरता है, तो जमीन हिलती है ।
उस समय कांग्रेसी नेताओं के बयान, खून का बदला खून ने उस समय के हालातों पर आग में घी डालने का काम किया, नतीजतन हजारों सिखों की सरेआम हत्या कर दी गई इसी के चलते कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को अदालत ने दोषी मानते हुए उम्रकैद एवं अन्य तीन को 10 साल की सजा सुनाई, ऐसे में सवाल यह उठता है कि लोगों की ऐसी मानसिकता नहीं होती ,लेकिन मानसिकता में बदलाव इस प्रकार के बयान करते हैं, अन्यथा महात्मा गांधी , राजीव गांधी की हत्या के बाद किसी भी समाज के एक भी बेगुनाह की जान नहीं ली गई ,जरूरत इस बात की है कि नेताओं को इस प्रकार के बयान को देने से परहेज करना चाहिए।
बहरहाल चुनावी समय चल रहा है एवं इस प्रकार के बयानों से किस पार्टी पर क्या असर होगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
