हिंदुओं की आस्था पर प्रहार ,हिंदुओं को आत्ममंथन करना अति आवश्यक ।

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भारत में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, और इस मौके पर संकुचित दलों के कुंठित मानसिकता वाले नेताओं के बयानों ने हिंदुओं की आस्था एवं हिंदुओं की भावनाओं पर गहरा आघात पहुंचाने की चेष्टा की है, क्या लोकतंत्र के इस महापर्व का यही अर्थ है कि ओछी मानसिकता के चलते अपने राजनैतिक मतलब सिद्ध करने के लिए किसी के धर्म एवं धर्म से जुड़े ग्रंथों का सरे बाजार मखौल उड़ाए, माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने न सिर्फ हिंदुओं को हिंसक बताया बल्कि हिंदुओं के धर्म ग्रंथ रामायण एवं महाभारत को भी हिंसक बताया, उन्होंने कहा कि रामायण ,महाभारत में हिंदुओं की हिंसक कहानियां कही गई है, इस बयान से इस प्रकार के संकुचित मानसिकता वाले नेताओं ने न सिर्फ आतंकवादियों के धर्म का बचाव किया बल्कि हिंदुओं को भी इसी श्रेणी में खड़ा कर दिया ,यह एक ऐसा बयान है जिसने हिंदुस्तान के 100 करोड़ हिंदुओं की भावनाओं को झकझोर कर रख दिया और हिंदुओं को इसपर आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया है,क्या हिंदुस्तान के हिंदू इस प्रकार के नेताओं और पार्टियों के हाथों में यह देश सौंपने की चेष्टा करेगा?,यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
भारत का हिंदू संप्रदाय वह है ,जिसने भारत में रहने वाले हर धर्म संप्रदाय का सम्मान किया, वहीं हिंदू धर्म वह भी है जिसने सैकड़ों कश्मीरी पंडितों का एवं सैकड़ों सिक्खों की हत्या को अपने ही देश में देखा और सहा ,उसके बाद भी हिंदुओं ने भारत में अनेकता में एकता की मिसाल कायम की, लेकिन हिंदुस्तान के राजनेताओं की इसे ओछी मानसिकता ही कहेंगे जिसके चलते हिंदू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद ,जैसे शब्दों से हिंदू संस्कृति को बदनाम करने की शुरुआत की।
चुनाव का अर्थ यह कतई नहीं हो सकता की नेतागण अपनी हैसियत भूलकर किसी के धर्म ,जाति ,संप्रदाय ,धर्म ग्रंथों का अपमान करें, लेकिन भारत का हिंदू संप्रदाय सब देख भी रहा है एवं समझ भी रहा है कि वह यही लोग हैं जिन का नारा है ,भारत तेरे टुकड़े टुकड़े ….. एवं कौन इनसे हमदर्दी रखकर इनके साथ बैठते हैं, राजनीतिक विश्लेषकों का यहां यह कहना है कि राजनीतिक गठबंधन तभी संभव है जब 2 दलों में कहीं ना कहीं वैचारिक समानताएं होती है एवं इसमें यह भी देखने वाली बात है की कल तक जो एक दूसरे को गालियां देते थे आज उनके एक होने का उद्देश्य क्या है।
बहरहाल चुनाव के इस प्रकार के परिदृश्य को देखते हुए हिंदुस्तान के हिंदुओं को आत्ममंथन की अति आवश्यकता है एवं अपने स्वाभिमान एवं भविष्य को भी सुरक्षित करने की आवश्यकता है ।
“अपनी चेतना को जागृत करें, वोट जरूर करें ।


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