न्याय, क्या मिडिल क्लास के साथ न्याय कर पाएगा?

0 minutes, 0 seconds Read
Spread the love

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा 2019 लोकसभा चुनाव के अपने मेनिफेस्टो में एक योजना का उल्लेख किया है ,जिसका नाम है ,न्याय अर्थात न्यूनतम आय ,क्या है यह योजना?
इस योजना के पीछे कांग्रेस का मत है कि देश की 135 करोड़ जनसंख्या है और इसमें से 20 फ़ीसदी गरीबी रेखा में आते हैं , कांग्रेस की ओर से गरीबी रेखा का मानक यह है कि जिसकी आय ₹12000 से कम है, यहां इस योजना के परिपेक्ष में यह माना गया है कि 20 फीसदी जो गरीब हैं वह ₹6000 प्रतिमाह कमाते हैं लेकिन न्यूनतम आय का मानक 12000 है, जिसके तहत ₹6000 सरकार इन लोगों के खाते में, अगर सरकार कांग्रेस की बनती है तो इनके खाते में जमा कराएगी ।
135 करोड़ जनसंख्या में से 20 फ़ीसदी गरीब लगभग करीब 27 करोड़ लोग होते हैं जिनको की हर माह ₹6000 के मान से देने पर लगभग एक लाख 62 हजार करोड़ रुपए सरकार वहन करेगी ,कैसे?, यहां अर्थशास्त्रियों की माने तो देश में 135 करोड़ जनसंख्या में से केवल 3.5 करोड़ ही करदाता है, उद्योगपतियों की बात करें तो कई विजय माल्या, नीरव मोदी जैसे हर साल भारत की अर्थव्यवस्था को अरबों रुपए का चूना लगा देते हैं ,कई ऐसे भी हैं जिन पर बैंकों का करोड़ों रुपए कर्ज बकाया है, तो कुछ ऐसे भी हैं जो टैक्स देते हैं और 20 परसेंट गरीब को ₹6000 तक की इनकम भी, राजनेता ,ज्यादातर अरबपति है, लेकिन करदाताओं की संख्या में नहीं के बराबर है, किसानों को टैक्स से दूर रखा गया है, यहां सबसे महत्वपूर्ण और देश का सबसे बड़ा प्रतिशत है , “मिडिल क्लास”, इसमें वे लोग आते हैं जो छोटा-मोटा कारोबार करते हैं , सरकारी या गैर सरकारी नौकरी में है ,जिनसे सरकार को अधिकतम टैक्स की राशि मिलती है। यहां अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस प्रकार की योजना में 28 करोड़ लोगों को बिना काम या बिना रोजगार के 1 लाख 62 हजार करोड़ रुपए हर माह सरकार को अतिरिक्त वहन करेगी और इसकी आवक 2 तरह से हो सकती है, या तो करदाताओं पर कर का अतिरिक्त भार बढ़ाया जाए एवं वस्तुओं, जिसमें हर रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुएं भी शामिल है की कीमतों में इजाफा किया जाए अर्थात आम आदमी पर महंगाई का अतिरिक्त भार बढ़ने की संभावना, या दूसरा सरकार कर्ज लेकर ,या अन्य क्षेत्रों के बजट में कटौती कर न्याय योजना का संचालन करें, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि करदाताओं मैं अमीर तबके पर अतिरिक्त कर एवं महंगाई से कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन मिडिल क्लास पर अतिरिक्त कर एवं महंगाई से उनकी अर्थ व्यवस्था पर खासा असर पड़ सकता है ,अर्थात अधिकतम करदाता ,मिडिल क्लास पर यह अतिरिक्त भार डालने पर क्या मिडिल क्लास के साथ यह न्याय संगत होगा ? क्योंकि किसी भी सरकार के लिए अमीर और गरीब दोनों हाथ हैं तो सरकार की रीड की हड्डी मिडील क्लास होती है।
देखा जाए तो वोटर दोनों ही हैं, गरीब भी और मिडिल क्लास भी, ऐसे में मिडिल क्लास जनता के मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि एक के साथ न्याय तो दूसरे के साथ कहीं इस योजना से अन्याय तो नहीं होगा ?
अभी कांग्रेस पार्टी की ओर से यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि सरकार अगर कांग्रेस की बनती है तो इस न्याय योजना के संचालन हेतु आवश्यक लगभग 1 लाख 62 हजार करोड़ रुपए प्रतिमाह की भरपूर्ति कहां से की जाएगी।
बहरहाल इस योजना का संचालन, क्रियान्वयन एवं परिणाम इन सभी पहलुओं को जनता कितना समझ पाती है और मंथन कर क्या परिणाम पाती है ,इसका फैसला तो चुनाव के परिणाम ही बताएंगें।


Spread the love

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *