“मूर्ख दिवस” , आत्ममंथन आवश्यक।

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1 अप्रैल मूर्ख दिवस के रूप में प्रचलित है, इस दिन लोग एक दूसरे को व्यंग्यात्मक तरीके से मूर्ख बनाते हैं, लेकिन वास्तव में हम रोज मूर्ख बन रहे हैं ।

भारत में जब ईस्ट इंडिया कंपनी आई तब किसी ने यह नहीं सोच होगा की यही अंग्रेज हमको मूर्ख बनाकर हमपर बरसो तक राज करेंगे ,लेकिन इसके पीछे भारतीय लोगों की एक कमजोरी है और वह यह कि यहां के लोग किसी पर भी जल्दी विश्वास कर लेते हैं ,विश्वास करने तक तो ठीक है लेकिन यहां अंधविश्वास की पराकाष्ठा तक तब देखी गई है उदाहरण के लिए हम देखते हैं कि ब्रिटिश कंपनी द्वारा बनाया गया एक प्रोडक्ट है फेयर एंड लवली जो कि भारत में सालों से बिक रहा है और इसके विज्ञापन में कहा जाता है कि 7 दिनों में आप गोरे हो जाएंगे ,अपने प्रोडक्ट को बेचने के लिए भ्रामक प्रचार करके अब तक यह विदेशी कंपनी भारत के लोगों को मूर्ख बनाकर अरबों रुपए का चुना भारत को लगा चुकी है ,और वास्तव में इससे आज तक कोई गोरा नहीं हुआ।
चुनावी दौर चल रहा है और अक्सर चुनाव आने पर राजनैतिक दल अपने घोषणा पत्रों में बड़े-बड़े लुभावने वादे जनता को अपनी ओर खींचने के लिए करते हैं लेकिन चुनाव के बाद अक्सर जनता अपने आप को ठगा सा महसूस करती है, नेताजी कुछ ही सालों में अपनी बुद्धि का एवं ठग विद्या उपयोग करके अरबपति हो जाते हैं एवं जनता वहीं की वहीं रह जाती है ,हर चुनाव में जनता की गरीबी का वास्ता देकर जनता के जज्बातों से खेला जाता है और उन्हें बरगलाया जाता है ,आजादी के 70 साल के बाद भी राजनैतिक दल भारत की जनता को मूलभूत सुविधाएं देने में भी नाकामयाब रही है ,हर बार वही वादे बिजली, पानी ,सड़क, सुरक्षा ,स्वास्थ्य , शिक्षा,रोजगार और नतीजा यह की नौजवानों को रोजगार देने के बजाय बेरोजगारी भत्ता देने की बात हो रही है, ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या इस प्रकार की नीति से नौजवानों का भला होगा ? क्या इस नीति से देश की प्रगति होगी? लेकिन वास्तव में हमारे राजनेता जनता को ठगने में लगे हैं ,क्या यह संभव है कि एक पढ़े लिखे नौजवान को रोजगार ना देकर ,चंद सिक्के देकर उसे घर में बिठाकर नाकारा बनाकर उसका भविष्य उज्जवल होगा ?,क्या यह संभव है देश के किसानों को उनकी फसलों का वाजिब दाम ना देकर उनके कर्ज को माफ करके, किसानों के भविष्य को उज्जवल किया जा सकता है ?,शायद नहीं ,फिर हम क्यों अपने क्षणिक स्वार्थ के लिए देश के भविष्य से समझौता कर बैठते हैं?, सवाल यह उठता है कि राजनेताओं की इस ठग विद्या का शिकार हम कब तक बनते रहेंगे ।

भारत की जनता एवं राजनेताओं को हमारे पड़ोसी देश जापान से सीख लेने की आवश्यकता है, जो की पूर्ण विनाश के बाद चंद सालों में आज फिर उठ खड़ा हुआ है जहां के लोग संपन्नता की ओर अग्रसर हैं ,वहीं जब हम अपने अंदर झाँकते हैं तो स्वार्थ के अलावा हमें कुछ और दिखाई नहीं देता ।
बहर हाल आज 1 अप्रैल है, जिसे मूर्ख दिवस भी कहा जाता है ,वक्त है कि हम आत्ममंथन करें ताकि आने वाले भविष्य में हमारे लिए कोई भी दिवस मूर्ख दिवस साबित ना हो।


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