21वीं सदी के इस आधुनिक दौर में हम जी रहे हैं, लेकिन हमारे देश के राजनीतिज्ञों के चुनावी हथकंडे अभी भी वही पुराने और घिसे पिटे से प्रतीत होते हैं ,ऐसा क्यों है, इसे समझना बहुत आवश्यक है ,अगर हम यह कहें कि किसी देश के लोगों की गरीबी को दूर करना है तो उसके उपाय क्या होना चाहिए, तो जवाब होगा ,लोगों को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मुहैया कराने के लिए उद्योग लगाना ,नौजवानों के हुनर के हिसाब से उनको लघु उद्योग लगाने में सहायता करना, या सीधे शब्दों में कहें तो सबको अपनी काबिलियत के हिसाब से रोजगार देना ताकि देश का हर नागरिक सक्षम हो एवं देश भी आर्थिक रूप से सशक्त बनें।
इसी प्रकार हम किसानों की बात करें तो किसानों को उन्नत बनाने के लिए किसानों की फसलों का वाज़िब दाम तय हो एवं कृषि को उन्नत बनाने के संसाधनों को किसानों को उपलब्ध कराया जाए।
लेकिन वास्तविकता में अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए गरीबों एवं किसानों को चुनावी मोहरा बनाकर या यूं कहें कि उन्हें बरगला कर अपने स्वार्थ सिद्धि का साधन बनाया जा रहा है जहां एक तरफ राजनीतिज्ञ,नौजवानों को रोजगार उपलब्ध ना करा पाने के चलते उन्हें मुफ्त खोरी की ओर धकेलने पर उतारू है ,याने बिना काम किए आपको एक निश्चित राशि घर बैठे मिल जाया करेगी और ऐसा करके एक गरीब अमीर एवं सक्षम बन सकता है एवं इस प्रकार से देश से गरीबी हटाई जा सकती है एवम दूसरी और किसानों का कर्ज माफ करने से न सिर्फ उनकी गरीबी दूर होगी बल्कि किसान सक्षम भी बनेगा,
यह विचारधारा हमारे राजनीतिज्ञों की है ,21वीं सदी में ,इस विचारधारा पर घोर चिंतन की आवश्यकता है ।
वास्तविकता यह भी है कि राजनीतिज्ञ देश से गरीबी दूर करना एवं किसानों को उन्नत बनाने के उपायों से भलीभांति अवगत है, क्योंकि ऐसा नहीं होता तो एक आम आदमी 5 सालों की राजनीति में करोड़पति नहीं बल्कि एक गरीब आम आदमी ही रह जाता , राजनीतिज्ञ रातों रात करोड़पति अरबपति बनते जा रहे हैं एवं गरीबी ,बेरोजगारी, किसानों की बदहाली जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई है ,और यह भी कटु सत्य है कि किसानों की बदहाली ,गरीबी ,बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर कर दिया गया तो राजनीतिज्ञों की कोई अहमियत नहीं रह जाएगी ,शायद यही वजह है , गरीबी को दूर करने के उपायों को अमल में लाने की बजाय मुफ्त खोरी को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
बुद्धिजीवियों की नजर मैं मुफ्त खोरी से कभी कोई ना तो अमीर बन सकता है और ना ही सक्षम, वहीं किसानों की कर्ज माफी जैसे उपायों से कभी किसानों को उन्नत नहीं बनाया जा सकता है।
आम जनता के लिए चुनावी समय में यह चिंतनीय विषय है और उन्हें अपना मताधिकार का प्रयोग बहुत सोच समझकर करने की आवश्यकता है ,क्योंकि उनका मत, देश के एवं उनके अपने भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
