पुलवामा हमले में जिस तरह अभूतपूर्व क्षति भारत के जवानों की हुई है , उसके बाद पूरे भारत की जनता में अभूतपूर्व गुस्सा एवं प्रतिशोध लेने का जुनून भी देखा जा रहा है और जैसा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से रूबरू होकर जनता की मन की बात को समझा है एवम इजहार भी किया है कि पाकिस्तान बहुत बड़ी गलती कर चुका है और इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी ।
हमले के बाद मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को घेरने के लिए कूटनीतिक पहल मैं सफल होते दिख रही हैं, आज भारत के साथ कई देश खड़े हैं और इस हमले की निंदा कर रहे हैं यहां तक कि फ्रांस ने जैश के सरगना मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के लिये यूएन में प्रस्ताव लाने की भी घोषणा की है, अमेरिका ,ईरान, रशिया न्यूजीलैंड सहित अनेकों देश भारत के साथ खड़े हैं इसे हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक जीत मान सकते हैं।
लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि 2008 में 26/11 में हुए मुंबई आतंकी हमले को हम कैसे भूल सकते हैं और उस समय भी भारत ने पाकिस्तान को लाइव आतंकवादी सबूत जो कि लश्कर-ए-तैयबा संगठन का था, दिया था ,जिसे उसने सिरे से नकार दिया था ,इसमें गौर करने वाली बात यह है कि लश्कर के सरगना हाफिज सईद को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर आतंकवादी घोषित किया हुआ है यहां तक कि 2012 में अमेरिका ने हाफिज सईद पर 1000 करोड़ डालर का इनाम भी घोषित किया है, बावजूद इसके हाल ही में हुए पाकिस्तान के चुनाव मैं हाफिज सईद ने बकायदा राजनीतिक पार्टी बनाकर चुनाव में हिस्सा लिया ,ऐसे में मोस्ट वांटेड के क्या मायने रह जाते हैं ।
इसी प्रकार भारत की कूटनीतिक जीत ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करा भी दिया तो पाकिस्तान पर इसका कोई असर नहीं होगा क्योंकि हाफिज सईद का उदाहरण हमारे सामने है ,और अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए पाकिस्तान ने इस समय हाफिज सईद को नजर बंद कर दिया है ।
भारत की जनता मोदी सरकार से कूटनीतिक जीत के साथ साथ आतंकियों पर बड़ी सैनिक कार्यवाही भी चाहती है, जनता का आक्रोष इस हद तक है की वह सर्जिकल स्ट्राइक से भी बढ़कर चाहती है ऐसे में मोदी सरकार पर आर्मी एक्शन लेने का दबाव बढ़ता जा रहा है, वहीं राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो भारत में आगामी लोकसभा चुनाव के चलते जनता की अपेक्षा पर खरा ना उतरने पर उसका असर मोदी सरकार के विरोध में देखने को मिल सकता है ऐसे में देखना यह है कि मोदी सरकार का अगला कदम क्या होगा?
