भारत भर में 14 फरवरी को हुए पुलवामा आतंकी हमले के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं ,लेकिन कल तक जो राजनीतिक चहलकर्मी दिल्ली के रामलीला मैदान एवं जंतर मंतर पर दिख रही थी, आज भारत के शहीदों के लिए सुना क्यों हैं, शायद राजनीतिक महत्वाकांक्षा उन्हें मौन रहने पर मजबूर कर रही है। भारत तेरे टुकड़े टुकड़े इंशा अल्लाह इंशा अल्लाह के नारे लगाने वालों के साथ हमदर्दी जताने वाले आज भारत के जवानों के साथ हमदर्दी जताने में क्यों परहेज कर रहे हैं।
आतंकियों की घुसपैठ से लेकर उनके सुरक्षित रहने ,खाने- पीने, गोला बारूद और आतंकी हमले की प्लानिंग करने तक की जिम्मेदारी रखने वाले , धारा 370 का कोट पहने हुए जयचंद आज कश्मीर में सुरक्षित है और पाकिस्तान के वफादार बने बैठे हैं ,जो ना सिर्फ कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने के लिए कश्मीरी नौजवानों को भटका रहे बल्कि हमारी आर्मी को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहे हैं ,उन जयचंदो कि सुरक्षा हटाने पर प्रश्न क्यों, इन्हीं जयचंदों ने कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से मुक्त कर दिया था ,तो क्या भारत के राजनीतिक दल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर 370 का पर्दा हटा कर कश्मीर को जयचंद मुक्त नहीं कर सकता ? पाकिस्तान से तो हम सीधा युद्ध कर सकते हैं लेकिन देश में धारा 370 की आड़ में बैठे जयचंदों का क्या ?
आज इसीलिए पूरा भारत एक स्वर में यह मांग कर रहा है कि यह 370 का कवच आखिर कब तक ?
आज भारत की सुरक्षा एवं कश्मीरी नौजवानों के सुनहरे भविष्य के लिए “370 तेरे टुकड़े टुकड़े ,जय श्रीराम जय श्रीराम” का नारा लगाने के लिए, भारत के सारे राजनीतिक दल अपने वोटों की राजनीति भूल कर, क्यों एक मंच साझा नहीं कर रहे हैं?
भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अपने उद्देश्यों में अर्जुन से कहा था की हे अर्जुन अपराध करने वालों का साथ देने वाला भी अपराधी के बराबर ही दोषी होता है, उसका भी वही दंड होता है जो एक अपराधी का होता है हम आतंकवादियों को तो दंड दे रहे हैं लेकिन आतंकवादियों के सरपरस्तो का क्या ?
इस विषय में बुद्धिजीवियों का मानना है कि धारा 370 का कवच अगर नहीं हटाया गया तो कितने ही पृथ्वीराज इस धारा पर और शहीद होंगे ।
