विश्व के पटल पर अगर किसी देश पर भरोसा किया जाता है ,और विकसित देश भी उसी देश से कंधे से कंधा मिलाकर तन मन और सबसे जरूरी धन को निवेश, उसी देश में करना चाहेंगे जिस देश में स्थाई सरकार हो या यूं कहें कि देश की सरकार के पास संसद में पूर्ण बहुमत हो, अर्थात किसी भी देश के विकास का पर्याय पूर्ण बहुमत कहा जा सकता है।
वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य को हम देखें तो देश में दो प्रमुख राष्ट्रीय राजनैतिक दल हैं ,और इतिहास को हम समझे तो हम पाएंगे कि देश के इन दो राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टियों (भाजपा एवं कांग्रेस ) में से किसी एक पर भी देश की जनता ने जब भी पूर्ण बहुमत का भरोसा जताया है व सरकार स्थाई एवं कारगर सरकार साबित हुई है।
सिक्के के दूसरे पहलू को हम देखते हैं तो अनेक क्षेत्रीय दलों के सहयोग से मिलकर सरकार बनती है ,तो उस संदर्भ में क्षेत्रीय दलों के लिए अपने अपने क्षेत्रों का विकास प्राथमिक होता है एवं अनेक दलों से मिलकर बनी सरकार मैं ,किसी एक दल के भी असंतुष्ट होने पर सरकार गिरने का खतरा बना रहता है और विश्व के पटल पर यही कड़ी , देश ,सरकार एवं प्रधानमंत्री को कमजोर बनाती है और उस देश के विकास की राह में बाधाएं सदा अपने पैर पसारे रहती है।
भारत की जनता को 16वीं लोकसभा के अंतिम पड़ाव पर प्रधानमंत्री मोदी ने संबोधित करते हुए जनता से कुछ इसी प्रकार का निवेदन किया ,उन्होंने कहा कि पूर्ण बहुमत के प्रधानमंत्री पर विश्व भरोसा करता है एवं वह देश के विकास के लिए फैसले लेने में सक्षम होता है।
कहते हैं दिल्ली सरकार का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है और उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी पूर्ण बहुमत का इशारा देते हुए कहा कि आने वाली लोकसभा में सभी सांसद इसी तरह जीत कर आए एवं प्रधानमंत्री पुनः एक बार फिर प्रधानमंत्री बने ,अब इस बयान के क्या मायने हैं यह तो वक्त ही बताएगा ,लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है की आने वाली सरकार जिसकी भी बने, पूर्ण बहुमत के साथ एक मजबूत सरकार बने, तभी भारत विकास की लंबी उड़ान भर पाएगा ,तभी भारत उज्जवल भविष्य की कल्पना कर पाएगा ,तभी विश्व पटल, भारत के विकास की राह में हमराही बनेंगे ,तभी भारत विश्व गुरु बन पाएगा।
