
मध्यप्रदेश में आचार संहिता लागू है और इन दिनों उज्जैन में लग रहा है कि प्रशासन मौके पर चौका लगाने को आतुर हैं ,कोई इंदौर की धमक उज्जैन में दिखाने को बेताब है तो कोई अपने पहलवानी हाथों से पंजा लड़ाने को तैयार है।लेकिन आचार संहिता के चलते नेता इन दिनों ठाकुर बने बैठे हैं।
मतदान हो जाने के बाद उज्जैन का प्रशासनिक अमला बाबा महाकाल की नगरी में सख्ती के मूड में नजर आ रहा है ,बात चाहे अतिक्रमण की हो, या अवैध निर्माण हटाने की हो ,प्रशासन ताबड़तोड कार्यवाही कर रहा है ,ऐसा प्रतीत होता है की आचार संहिता के बाद क्या यह संभव नहीं है ? यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि कहीं ना कहीं राजनीतिक हस्तक्षेप इस प्रकार की कार्यवाही में प्रमुख भूमिका अदा करता दिखाई देता है ,फिर वह बात चाहे सीवरेज लाइन की हो, फ्रीगंज कट चौक की हो , आवारा मवेशियों को हटाने की ,अतिक्रमण की हो या फिर अवैध निर्माण की हो।
लेकिन सही मायनों में शहर के विकास में प्रशासनिक एवम राजनैतिक सामंजस्य आवश्यक है ।
बहरहाल आचार संहिता अब कुछ दिनों की ही मेहमान है ,अब देखना यह है कि आचार संहिता समाप्त होने पर प्रसाशनिक एवम राजनैतिक समन्वय ,उज्जैन को स्मार्ट सिटी बनाने में दिखेगा?.
