खतरा मोदी से या सनातन धर्म की वापसी से ?

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5000 साल पहले ऋषि वेदव्यास जी ने सनातन धर्म का उल्लेख वेदों में किया था, सनातन धर्म अर्थात हिंदू धर्म ,जिसको की इतिहास में सबसे बड़ा और प्राचीन धर्म कहा गया है, सनातन धर्म या हिंदू धर्म को मानने वाले बहुतायत में होने से यह क्षेत्र हिंदुस्तान कहलाया लेकिन किसी को इस धर्म से अगर दिक्कत या परेशानी थी, तो वह थे मुगल ,मुगलों ने हिंदुस्तान पर हमला करके हिंदुस्तान पर 200 साल तक राज किया और इस सनातन धर्म को खत्म करने की पुरजोर कोशिश की ,चाहे राम जन्म भूमि की बात हो या सोमनाथ मंदिर की ,लेकिन इसके बाद आए अंग्रेज जिन्होंने 100 साल तक हिंदुस्तान पर राज किया और हिंदुस्तान के टुकड़े-टुकड़े करके उसे भारत नाम दिया।

अभी आजादी को 100 साल भी नहीं बीते हैं की कांग्रेस के लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को लगता है कि 2019 में नरेंद्र मोदी के फिर से प्रधानमंत्री बनने पर सनातन धर्म,एवम आर एस एस की हुकूमत होगी, लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि कांग्रेस पार्टी के नेता ,नरेंद्र मोदी के ना आने पर सनातन धर्म की जगह किस धर्म को और आर एस एस की जगह किस संगठन की हुकूमत भारत में लाना चाहते हैं ,इसका जवाब सही रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे जी ही बता सकते हैं ,लेकिन ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि किसी व्यक्ति विशेष से नफरत, ईर्ष्या ,द्वेष हो सकते हैं लेकिन नफरत की राजनीति आज उस चरम सीमा को छू गई है कि अब भारत में सनातन धर्म से भी खतरा होना बताया जा रहा है, यह हमारे राजनेताओं की मानसिकता पर प्रश्नचिन्ह लगाता हैं ।

आजादी के 70 साल बाद आज हम अपने बच्चों को किताबों में राम और कृष्ण का इतिहास ना पढ़ाकर बाबर से लेकर अकबर तक के मुगल काल का बखान करते हैं ।

बहर हाल यह बयान और यह सोच कांग्रेस को किस दिशा में ले जाएगी यह कहना मुश्किल है, लेकिन ऐसे में भारत की जनता के मन में यह सोच जरूर पनप रही है कि मोदी 2019 में फिर आए ना आए ,लेकिन क्या भारत में अब किसी और धर्म की या किसी संगठन की हुकूमत आना बाकी है क्या ,और किस धर्म का या किस संगठन का अब भारत पर राज होना चाहिए इसका जवाब भी भारत की जनता कांग्रेस के नेता आदरणीय मलिकार्जुन खड़गे से चाहती है।

जबकि वास्तविकता यह है कि सनातन का अर्थ होता है हमेशा बना रहने वाला ,अर्थात ना आदि है ना अंत ।


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