भारत में 21 वी सदी में पश्चिमी सभ्यता सिर चढ़कर बोल रही है जहां एक और फिल्मी दुनिया में पश्चिमी सभ्यता गले गले तक समा जाने के चलते भारतीय संस्कृति को ताक पर रखकर ,फिल्मों में, गानों में खुलेआम अश्लीलता परोसी जा रही है ,उस समय ना हीरो, ना हीरोइन ,ना डायरेक्टर ,ना सेंसर बोर्ड किसी को भी खुलेआम भारत की नौजवान पीढ़ी के साथ हो रहा #me too नजर नहीं आ रहा , पश्चिमी संस्कृति को अपनाकर एवं भारतीय संस्कृति को भूलकर भारतीय फिल्मी दुनिया ,भारतीय समाज और परिवार में me2 पैदा कर रहा है, युवा पीढ़ी को इससे क्या शिक्षा मिल रही है यह जगजाहिर है ,यहाँ इमरान हाशमी के साथ फ़िल्म में किसी हीरोइन को #me too के चलते कोई समस्या नही है, यहां me2, मुहावरा सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली को सत्यता प्रदान करता है,बाहर हाल मी टू पर फिल्मी दुनिया को आत्ममंथन की आवश्यकता है।
लेकिन जब मी टू से प्याज के छिलके निकाले ही जा रहे हैं तो हम # He Too को भी नजरअंदाज अंदाज नहीं कर सकतेे, राजनीति की बात करें तो धनवान और वंशवाद का बोलबाला है, कोई पैसों के बल पर तो कोई वंशवाद के बल पर अंगूठाटेक सत्ता की मलाई खा रहा है और ,उम्र खफा देने वाला कार्यकर्ता अपने आप को me2 की श्रेणी में पाता है ।
शिक्षा जगत भी इससे अछूता नहीं है, स्कूल कॉलेज हॉस्टल मैं कई बच्चे मि टू का शिकार हो रहे हैं, बिहार के छात्रावास की घटना इसका जीता जागता उदाहरण है।
तमाम सरकारी एवं प्राइवेट दफ्तरों में न सिर्फ महिलाएं बल्कि पुरुष भी मी टू का शिकार हो रहे हैं हर बड़ा अधिकारी छोटों को #she too और#He too का तमगा दे रहे हैं भ्रष्टाचार और मि टू का तो चोली दामन का साथ है ,भ्रष्टाचार के चलते हर व्यक्ति बोल रहा है, #me too.
दरअसल महिला हो या पुरुष हर प्रकार का शोषण # me too कहलाता है ,आधुनिकता की दौड़ में अपनी संस्कृति और सभ्यता को भूलकर पश्चिमी सभ्यता को अपनाने के चलते हम एक दूसरे को मी टू का शिकार बनाते जा रहे हैं ।
जरूरत आत्ममंथन और अपनी राह और आचरण को समझने की है, #me too को रोकने के लिए #she too ओर # He too को पहले खुद को #honest too बनाने की आवश्यकता है।
