शीर्ष नेतृत्व का सख़्त होना, अच्छे भविष्य की निशानी

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अटल बिहारी वाजपेयी, एक ऐसा नाम जिसने ना सिर्फ सख्त विपक्षी नेता के रूप में अपनी साख छोड़ी बल्कि एक कुशल एवं दबंग प्रधानमंत्री के रूप में ,अमेरिका के घोर विरोध के बावजूद पोखरण का परमाणु परीक्षण कर दुनिया को भारत का लोहा मानने पर मजबूर कर दिया, और अपने बहुत छोटे प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल को इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किया।

एक बार फिर अमेरिका के घोर विरोध एवं प्रतिबंध की परवाह ना करते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की सुरक्षा के चलते एक सख़्त एवं सराहनीय कदम उठाया।

भारत ने रूस से एस 400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीदी पर अंतिम मुहर लगा दी, एस 400 मिसाइल, 400 किलोमीटर की दूरी पर जेट ,मिसाइल ,मानवरहित हवाई वाहनों को नष्ट करने में सक्षम है ,रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो इससे भारत की वायुसेना ,डिफेंस एवं मारक दोनों ही पक्ष मजबूत होंगे ,इसके अलावा भारत ने 4 युद्धपोत भी रूस से लेने का फैसला किया है, यह चारों युद्धपोत भी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस हैं ,जिसके चलते न सिर्फ वायु बल्कि भारत की जल सेना भी मजबूत होगी।

वायुसेना के प्रमुख एयर मार्शल बी एस धनोआ का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंध इस सौदे के बीच नहीं आएगा ,वहीँ पहले अमेरिकी, सी ए ए टी एस ए के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाने की बात करने वाले अमेरिका के सुर अब नरम होते दिख रहे हैं, प्रतिबंध लगाने की बात पर अमेरिका की ओर से कहा गया है कि प्रतिबंधों का मकसद सहयोगियों को नुकसान पहुंचाना नहीं है ,यह सौदा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि चीन पहले ही रशीया से एस 400 लेने का सौदा कर चुका है।

बाहर हाल इस सौदे से भारत की अंतरराष्ट्रीय जगत में दबंग छवि प्रस्तुत हुई है ,जिसने अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह किए बगैर देश की सुरक्षा के हित में सख्त फैसला लिया।


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